| कवि– डॉ राम गोपाल भारतीय | मत कहो दुनिया में बस अंधेर है आएंगी खुशियां अभी कुछ देर है जो तनी भृकुटि नियति की भी अभी आदमी के कर्म का ही फेर है शक्तियों का दंभ यदि टूटा है तो ये विवश जन की करुण सी टेर है चांद सूरज जीतकर बैठा जहां आदमीContinue reading “ग़ज़ल”
