
| कवयित्री – श्रीमती रेखा ड्रोलिया |
चलो विचारों का समन्वय ढूंढते हैं
एक नए युग का निर्माण ढूंढते हैं
विचारों के अनंत सागर का कर मंथन
एकता और अखंडता का अमृत ढूंढते हैं
चलो एकता की ताक़त व पहचान आंकते हैं
संयुक्त प्रयास का परिणाम आंकते हैं
विश्व पटल पर सोने की चिड़िया सा मान
स्वर्ण अक्षरों में देश का इतिहास आंकते हैं
चलो सांप्रदायिक विचारों को तजते हैं
हिंसा शोषण ऊंच नीच को तजते हैं
गौतम गांधी और पटेल का ज्ञान अपना
जाति और धर्म के भेदभाव को तजते हैं
चलो अनेकता में एकता का पुनर्मिलन रचते हैं
शांति सामर्थ्य और सद्भावना का भंडार रचते हैं
एकता है विकास का अतुलनीय आधारस्तंभ
अविभाज्य देश का नवीन साम्राज्य रचते हैं
देश प्रेम के गौरव और गरिमा के भावों की अभिव्यक्ति ✍️
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