| कवि- डॉ.अनिल शर्मा ‘अनिल’ |

जय जय श्री गोपाला,जय जय नंदलाला
जसुमति के लाला की,जै कन्हैया लाल की।
बंसी के बजैया और, गऊओं के चरैया की,
रास के रचैया प्रभु,जय हो गोपाल की
नाग के नथैया स्वामी,जय जय अंतर्यामी,
गिरिवर धारी जय,बांके बिहारी लाल की।
गोपिन के चितचोर, जय हो नंदकिशोर,
नमन है कर जोड़ ,जै हो जगपाल की।।
जग के हैं स्वामी कृष्ण,जग के पालनहार
जीवन एक संघर्ष, बताया गोपाल ने।
कुरुक्षेत्र रण बीच,ज्ञान दिया गीता जी का,
धर्म की होती विजय,कहा नंदलाल ने।
अपना पराया छोड़,धर्म मार्ग बढ़े चलो,
दुष्टों से न प्रीत करो,तुम किसी काल में।
कृष्ण ने दिया संदेश,गीता ज्ञान उपदेश
उसका अनुसरण,करो हर हाल में।।